थे वह एक योद्धा प्रभावशाली,  पृथ्वीराज चौहान नामों में विख्याती।

राजपूत कुल का रत्न न्यारा,  वीरता के धर्म का प्रतीक प्यारा। 

प्रतापी और साहसी योद्धा,  उनकी धैर्यशीलता थी अद्भुत प्राचीन। 

विजयी करते थे वह अजेय लड़ाई,  खतरों से अच्छे से समझते थे वह जुड़ाई। 

मेवाड़ के शेर कहलाते थे वह,  बलिदान करते थे अपने प्राणों का मोल। 

वीरता की उच्चाईयों पर थे चढ़े,  विजयी बनते थे वह हर लड़ाई में सदैव। 

पृथ्वीराज थे  वीरता के प्रतीक,  वे सत्य के पुजारी थे प्रतिष्ठित। 

धर्म की रक्षा के लिए उठाए थे तलवार,  विराजमान थे वे अपने देश के  प्रतिष्ठा के पार। 

पराक्रम और वीरता के निधान,  पृथ्वीराज चौहान, नामों में विश्वास। 

उनकी कहानी सुनते हैं लोग आज भी, वो योद्धा जो बन गए इतिहास। 

प्रभु श्री राम पर कविता