आओ अब वृक्ष लगाना बंद करें,क्यों मृत्यु दर को मंद करेंभीड़ बढ़ रही कीट पतंगों सी,क्यों स्वच्छ हवा का इन्हें प्रबंध करेंचिंता नहीं जब किसी को भविष्य की तो,क्यो अक्ल के मन्दो को अक्लबंद करें
पर्यावरण प्रेमी तो कहते रहते हैं,खत्म इन से संबंध करेंआओ अब वृक्ष लगाना बंद करें,क्यों मौत का आंकड़ा मंद करें
महाभारत युग हो या वैदिक विधान,सदा ही प्रकृति का रहा सम्मानपीपल, बरगद और तुलसी दूबा तक,पेड़ पौधों में हमने माने भगवान
आज है संकट ग्लोबल वार्मिंग का, पूर्वजों को पूर्व से था अनुमान बाढ़ पर अनियंत्रण, वर्षा की अनियमितता और ऋतुओं की अनिश्चितता से, संकट में है हम सब के प्राण
होने दो छेद ओजोन परत में,
क्यों प्रदूषण पर प्रतिबंध करें
आओ अब वृक्ष लगाना बंद करें,
क्यों मौत का आंकड़ा मंद करें
रोटी कपड़ा और मकान, पेड़ पौधों पर आश्रित,
सारे हमारे जरूरी सामान
एक बड़े पेड़ के होने से,
3% तक कम हो जाता तापमान
एक दाना धरती को देकर,
हजार गुना पा जाता किसान
लाखों रुपए की ऑक्सीजन,बिना मांगे ही यह करते भुगतान घातक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर,बेकार ही बचाते हमारी जान जमीन का कटाव रोक कर,स्वयं ही बन जाते सरहद के जवान
ऐसे तो मुश्किल हो जाएगा मरना हमारा,क्यों जीवन से अपना अनुबंध करेंआओ अब वृक्ष लगाना बंद करें,क्यों मौत का आंकड़ा मंद करें
मिट्टी, पानी और बयार,
जीवन के यह तीन आधार
इस नारे के जनक बहुगुणा और भट्ट ने,
चिपको आंदोलन को दिया आकार
खुद चिपके और औरों को चिपकाकर,
पेड़ बचाए हजारों हजार
उनने बचाए यह उनका फर्ज था,
हमें ना फुर्सत है लगाने की न बचाने से कोई सरोकार
33% वृक्षों की जो जरूरत है पृथ्वी पर,
22 तक तो हमने उन्हें दिया उतार
थोड़ा सा और यदि कम कर दें तो, फिर जीवन का यम से, प्रत्यक्ष हम संबंध करेंआओ अब वृक्ष लगाना बंद करें,क्यों मौत का आंकड़ा मंद करें