ना कोई संज्ञा, ना सर्वनाम, ना विशेषण का ही कोई काम

बस आन, बान और शान बोल दें, या पुकारें राजस्थान 

कई, कई राजाओं, सम्राटों से ज्यादा, जिसके घोड़े का भी हो सम्मान 

शोर्य, स्वतंत्रता और  स्वाभिमान जेसे शब्दों से, एक ही महामानव का आता ध्यान 

जिनके भाले, कवच और तलवार से, सजती भारत की झांकी है महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है 

राम के पुत्र महाराज लव ने, बसाया था कभी लाहौर 

इसी सूर्यवंश में जन्मे, सभी राजाओं के कई सिरमोर 

बप्पा रावल, राणा हमीर  और राणा कुम्भा, बहादुरी में रहे बेजोड़ 

मेवाड़ क्षेत्र में इन सबके, गीत चलते थे हर ओर 

राणा सांगा के बाद तो जैसे, दुनिया में गूंज गया चित्तौड़ 

मई माह में जन्मा उन्ही का पोता, तपते सूर्य सा जो लगता प्रतापी है 

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