गुरु पर कविता

गुरु एक ज्योति है, जो मन को रौशनी देती है, ज्ञान की किरणें बिखेर, अंधकार को दूर भगाती है।

गुरु का हृदय सूर्य की तरह है, अग्नि की भावना लेकर, छानता है शिष्य का मन, भ्रम से उसे अलग करके। 

ज्ञान का सागर हैं वे, उसमें शिष्य को डुबो देते हैं, जीवन की नदियों को पार कर, अपने उत्तम को दिखाते हैं। 

शिक्षा के पाठ पढ़ाते हैं, तमस को मिटाते हैं वे, ज्ञान के पौधों को बढ़ाते हैं, सुरेख नवों में खिलाते हैं।

अनुभव का पहरा होते हैं, शिष्य को सही राह दिखाते हैं, विज्ञान की ओर उन्मुख होते हैं, शिष्य को ज्ञान से संजोते हैं। 

गुरु में साक्षात देवता होता है, जिसे शिष्य पूजते हैं, सर्वशक्तिमान का आधार होते हैं, जिससे शिष्य गतिमान होते हैं। 

गुरु का आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है, समर्पण का पर्याय होता है, संसार के अनुभवों को बतलाते हैं, सत्य के मार्ग पर चलाते हैं।

गुरु पर विश्वास रखें हम, उनकी सीखों को मानें हम ज्ञान के प्रकाश से रोशन हो, एक नया सवेरा ध्यानें हम। 

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