मैं क्यों खुद को बदलूँ – बदलाव पर कविता – सविता पाटिल
मैं क्यों खुद को बदलूँ - बदलाव पर कवितामैं क्यों खुद को बदलूँ - बदलाव पर कविता - सविता पाटिलमैं, मैं हूँऔर सदा मैं ही रहूँ !मैं क्यों खुद को…
मैं क्यों खुद को बदलूँ - बदलाव पर कवितामैं क्यों खुद को बदलूँ - बदलाव पर कविता - सविता पाटिलमैं, मैं हूँऔर सदा मैं ही रहूँ !मैं क्यों खुद को…
बदलाव करो निरंतर करो - कविताबदलाव करो निरंतर करो - सविता पाटिलबदलाव करो, निरंतर करोपर उसमें कुछ बेहतर करोबदलाव हो जो जीवन सरल करेजड़ता को विरल करेबदलाव अज्ञानता से ज्ञान…