जीवन का उद्देश्य कविता
अनन्त युगों से चल रही दुनिया,
अनन्त युगों तक चलना है
अनन्त जीवन पाना है, अनन्त रूपो में ढलना है
अनन्त क्षितिज है, अनन्त सूर्य है, अनन्त हमारी अभिलाषायें
अनन्त है विस्तार ब्रह्मांड का, अनन्त हमारी दसों दिशायें
किंतु क्षणिक है जीवन हमारा, इसी में गिरना, उठना और संभलना है
अनन्त युगों से चल रही दुनिया, अनन्त युगों तक चलना है
75 वर्ष हम मुश्किल से जीते, एक तिहाई सोने में बीते
कुछ बरस बचपन में जाते, कुछ वृद्धावस्था में,
जाग्रत नही बाकी दिनों में भी, यह भी रहते रीते के रीते
पद, पैसा और प्रतिष्ठा की हवस में, यन्त्रवत हम जीवन जीते
यह समय भी शायद ज्यादा है, तभी झगड़े करते, दारू पीते
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