सुशांत सिंह राजपूत,  वो अद्वितीय थे यारों, उनकी आंखों में चमक,  उनके अंदाज में कुछ बात थी। 

उनकी प्रेरणा से जीते थे  हम सपने बड़े, दिखाते थे कि संघर्ष से मिलते  है सम्मान बड़े। 

एक अभिनय कला का  निर्माता वो थे, उम्र के छोटे-बड़े थे वो  सच्चे मायने में यारों। 

छलांगें उछालते थे,  सपनों को पकड़ते थे, जीवन की एक झलक थे, हमेशा हंसते थे। 

विज्ञान के ज्ञानी,  सितारों के ज्ञानी, वो थे हमारे दिलों में  बसी हुई कहानी। 

लेकिन एक दिन छोड़ गए हमें ये सपने, विचारों के समंदर में खो गए ये अपने। 

हर एक चेहरे पर है उनकी याद आज भी, हर एक दिल में है उनका सम्मान आज भी। 

आज भी धड़कता है उनका नाम हमारे हृदय में, सुशांत सिंह राजपूत,  बने रहो सदा हमारे दिल में। 

युनिफॉर्म सिविल कोड  पर कविता

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