
चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है – Sarveshwar Dayal Saxena
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है।
एक जल में
एक थल में,
एक नीलाकाश में।
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,
एक मेरे बन रहे विश्वास में।

सूरज को नही डूबने दूंगा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
अब मै सूरज को नही डूबने दूंगा
देखो मैने कंधे चौडे कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एडियाँ जमाकर
खडा होना मैने सीख लिया है

मुक्ति की आकांक्षा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
मुक्ति की आकांक्षा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना चिड़िया को लाख समझाओ...