पत्थर पर कविता: मैं अमर हूँ, तुम समझ जाओगे पत्थर हूँ मैं, कठोर हूँ मैं, अपनी मजबूती में छिपा हूँ मैं। मेरी कठिनाईयों को तुम समझ न पाओगे, हर संघर्ष में बचपन से खड़ा हूँ मैं। Jun 30, 2023Jul 24, 2023पत्थर पर कविता