जन्मे आप तो भयावह रात थी – Poem on Krishna in Hindi सतयुग, द्वापर, त्रेता बीता, चल रहा है कलयुग का काल शुरुआत ही है कलिकाल की, चलना और हजारों साल घर-घर कंश है दर-दर दुर्योधन, एक नही पर गिरधर गोपाल Aug 28, 2020Sep 5, 20231 Comment on जन्मे आप तो भयावह रात थी – Poem on Krishna in Hindiकृष्ण जी कविता