Category: किसान पर कविता

किसानों पर दर्द भरी कविता

किसानों पर दर्द भरी कविता| मैथिलीशरण गुप्त की कविता – किसान

हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम हैहो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ
किसान पर कविता

किसान पर कविता – कभी न करना अन्न दाता का अपमान

अन्न के कण-कण में होते है भगवान कभी न करना अन्न दाता का अपमान अन्न से ही जीवन की गति है चलती शरीर को ताकत और ऊर्जा भी मिलती